ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए जीविका बड़ा मददगार साबित हो रहा है. जीविका महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी अपनी अहम भूमिका निभा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जीविका से जुड़कर अपनी किस्मत अपने हाथों से बदल रही हैं. साथ ही जीवन की हर छोटी-बड़ी इच्छाओं को बेहद आसानी से पूरा कर रही हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण बांका जिला के फुल्लीडुमर प्रखंड अंतर्गत पुरानी राता गांव की रहने वाली सीता देवी हैं. जीविका से मदद लेकर सिलाई मशीन से काम शुरू करने वाली सीता देवी के पास आज कृषि से जुड़े कई यंत्र हैं, जिसे किराए पर देने के बाद लगाकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं.जीविका से जुड़कर इस तरह आत्मनिर्भर बनी सीता देवी
सीता देवी ने लोकल 18 को बताया कि शादी के बाद जब ससुराल पहुंची, तो घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी और किसी तरह गुजारा चल रहा था. लेकिन 2014 में जब जीविका समूह से जुड़ी, तो कुछ संबल प्रदान किया. रोजाना 10-10 रुपए जमा करती गई. इसके बाद जीविका से 10 हजार लोन मिला, तो सिलाई मशीन खरीद लिया. इससे रोजाना आमदनी होने लगी. 2020 तक इसी तरह चलता रहा और 2021 में एक बार फिर लोन लेकर थ्रेसर खरीद लिया. इसका ऋण चुकता कर बाद में ट्रैक्टर खरीदा. इसी तरह ऋण चुकता करती गई और कृषि उपकरण खरीदती रही, जिसमें रीपर, रोटावेटर, मसाला मिक्सर मशीन सहित कृषि में उपयोग होने वाले अन्य यंत्र को खरीदा. खुद की खेती में उपयोग करने के साथ ही किराए पर देकर अब लगाकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं.

सालाना 5 लाख तक कर लेती हैं कमाई
सीता देवी ने बताया कि शुरुआत में तो काफी परेशानी हुई, क्योंकि जिस समुदाय से सम्बंध रखते हैं, उस समय लोगों के बीच जाने में परेशानियां होती थी. साथ ही एक-एक रुपए जोड़ना मुश्किल था. लेकिन धीरे-धीरे अब सबकुछ सामान्य हो गया है. जीविका से जुड़ने के बाद जिंदगी पूरी बदल गई. जीवन में इस कदर बदलाव आएगा, कभी सोचा भी नहीं था. सिलाई और कृषि यंत्र की मदद से सालाना पांच लाख तक की कमाई हो रही है. इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. उन्होंने बताया कि आज गृह कार्य के साथ-साथ बाहरी कार्य भी बहुत ही सरलता से कर लेते हैं.