
नीमच। समंदर पटेल ने भाजपा का दामन छोट कांग्रेस में शामिल हुए कांग्रेस में गुटबाजी हावी हो गई हैं। जावद विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो क्षेत्र में इन दिनों चार गुट दिखाई दे रहें हैं। जो आने वाले विधान सभा चुनाव में पार्टी किसे टिकिट देती हैं। और ये अलग अलग गुट आखिरकार कितना सपोट उस व्यक्ति और पार्टी को कर पाते हैं। जब से समंदर पटेल भाजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं। तब से जावद विधानसभा क्षेत्र में दूसरे गुटों की सांसें फूंल रही हैं। कारण हाई कमान कही इन्हे टिकिट ना देदे । वही क्षेत्र में समंदर पटेल का भी विरोध देखने को मिल रहा हैं। जब क्षेत्र में बड़ा नेता आता हैं । तो इनके विरोधी कार्यकर्ता बाहर के नेता जी के सामने जमकर विरोध करते हैं। जिसके चलते समंदर पटेल को कही कही मुंह की खानी पड़ती हैं। वही कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी इन दिनों देखने को मिल रही हैं। ऐसे में क्षेत्र के कद्दावर नेता कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा के सामने जीत कैसे दर्ज कर पायेंगे।
एक मत होकर लड़ेंगे तभी जीत पाएंगे
वही जावद विधानसभा सीट की बात करें तो कांग्रेस पार्टी पूरी तरह गुटबाजी में समाई हुई हैं। और लगातार 4 चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस पार्टी के नेता अब तक गुटबाजी खत्म नहीं कर पाए तो ऐसे में क्या कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा की जीत हर बार की तरह इस बार विधानसभा 2023 के चुनाव में जीत क्या निश्चित मानी जाए ? अगर पार्टी में गुटबाजी रही तो ये सीट जीत पानी मुश्किल ही मानी जाएगी।
जावद में जन आक्रोश यात्रा में गुटबाजी आई सामने
जन आक्रोश यात्रा जैसे ही जावद विधान सभा क्षेत्र में पंहुची तो गुटबाज़ी देखने नजर आई हैं। कांग्रेस के नेता जीतू पटवारी जन आक्रोश यात्रा सरवानिया महाराज पंहुची तो समंदर पटेल को रथ में सवार देख कार्यकर्ताओ में नाराजगी देखी गई और नारेबाजी की गई समय की नजाकत को देखते हुए जीतू पटवारी ने समंदर पटेल को नीचे उतरने का इशारा किया । उनके उतरते ही वहा मौजूद कांग्रेस नेता सत्य नारायण पाटीदार,एवम राज कुमार अहीर को जन आक्रोश रथ में बिठाया। उसके बाद कार्यकर्ताओ में जोश बढ़ गया। जीतू पटवारी ने सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश सरकार पर कई आरोप लगाए और कहा कि लाड़ली लक्ष्मी शिवराज सिंह चौहान को अब याद आ रही है कोरोना के समय गैस सिलेंडर 1150 का था अब 450 रुपये का हो गया क्योंकि चुनाव है। शिवराज जी बताए कि इतने सालों से सरकार चलाई वो 500 रुपए कहां गए तब क्यों लाड़ली बहाना याद नहीं आई।