नीमच। जिला मुख्यालय से मात्र 12 किलो मीटर दूर झालरी ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आने वाला गांव बोरखेड़ी खुर्द में जाने के रास्ते ग्रामीण कच्चे रास्ते से अपने गांव जाने को मजबूर हैं। झालरी से बोरखेडी खुर्द जाने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को दो किलोमीटर रास्ता तय करना पड़ता हैं। वही बारिश के वक्त छात्र-छात्राओं को स्कूल जाने के लिए कीचड़ वाले रास्ते से जाने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। बारिश के समय स्कूल के छात्र-छात्राओं का विद्यालय पहुँचना किसी संघर्ष से कम नही होता…दूसरी और बोरखेडी खुर्द से थडोली जावी जाने वाले मार्ग भी पुलिया नही होने के चलते मुसीबत का कारण बना हुआ है, जिसके चलते मासूम बच्चों, व महिलाओं को जल मार्ग से गुजरना पड़ रहा हैं। जहाँ थोड़ी चूक अगर हो जाये तो जान से हाथ भी धोना पड़ सकता हैं।
विकास के लाख दावे करने वाली प्रदेश की शिवराज सरकार की यह हकीकत हैं…जहाँ आजादी के इतने वर्षों के बाद भी गांवों में आवागमन दूभर बना हुआ है…
इसके साथ ही बडोली की और जाने वाले मार्ग पर पुलिया नही होने के कारण रहवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। भले ही विकास के इस दौर में शहर से लेकर गांव की गलियों तक चकाचक सड़कें बन गई हो। हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ने के बड़े-बड़े दावे हो रहे हों। लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा एवं राजनेताओं में इच्छाशक्ति के अभाव के चलते झालरी से बोरखेडी खुर्द तक जाने वाला मार्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। गांव को जोड़ने वाली इस सड़क से प्रतिदिन लोग सफर करते हैं। फिर भी किसी को इसकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है। सड़क नही होने के कारण दोपहिया व छोटे वाहन चालकों को तो भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते इस मार्ग पर अक्सर हादसे भी होते रहते हैं।  इधर बरसात के दिनों में तो कच्चे  रास्ते की हालत और भी नारकीय हो जाती है। पूरी तरह कीचड़मय हो जाती है। जिससे होकर निकलना राहगीरों को मुश्किल हो जाता है। अब तो अभिभावक अपने बच्चे को इस सड़क से होकर स्कूल भेजने में भी डरते हैं। पता नहीं कब हादसा हो जाए। इसका डर हर दम सताता रहता है। ऐसा नहीं है कि क्षेत्र के लोगों ने इस कच्चे रास्ते  की मांग जोर-शोर से नहीं उठाई। लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला शायद कोई नहीं है। क्षेत्र के लोगों के लिए यह सड़क कोढ़ में खाज बना हुआ है। जनप्रतिनिधि की बात करें तो चुनाव के वक्त वोट मांगने पंहुचते हैं। लेकिन फिर पलटकर नही देखते झालरी से 12, साल तक जनपद अध्यक्ष रहे जगदीश  गुर्जर एवं इनकी धर्म पत्नी रही, लेकिन इस कच्ची सड़क को पक्की सड़क में तब्दील तक नही कर पाए…वही अब  ये वार्ड जनपद अध्य्क्ष शारदा बाई मदन धनगर का आता हैं। लेकिन इन्हे एक साल से अधिक का समय हो गया लेकिन विकास की सुध इन्होंने भी नही ली….
अब ऐसे में जनता जाए तो कहा,,वही स्थानीय विधायक दिलीप सिंह परिहार की बात करें तो चुनाव के वक्त वोट मांगने यहाँ नेताजी जरूर आते है, लेकिन इसके बाद गांव के विकास और जनता की समस्या से कोई सरोकार तक विधायक को नही रहता  है….!