नीमच । नीमच जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह राठौड़ भाटखेड़ा ने आरोप लगाया है कि , जिला चिकित्सालय नीमच में सुप्रबन्धों के लिए वर्ष 2014 से स्वीकृत सहायक प्रबंधक के पद के रिक्त रहने से समूचे अस्पताल परिसर में अव्यवस्थाएं पसरी हुई है और शासन की कायाकल्प योजना के अंतर्गत भी जिला अस्पताल फिर फिसड्डी साबित हो गया हैं । दुःखद यह है कि जिला प्रशासन के अलावा निर्वाचित जन – प्रतिनिधि भी इस संदर्भ में उदासीन है जिसका खामियाजा जनता भोग रही हैं। यहां जारी एक बयान में युवा नेता भानुप्रताप सिंह राठौड़ ने कहा कि , मिशन कायाकल्प योजना के निरीक्षण की बात हो या इससे अलग जब – जब भी प्रशासनिक प्रमुखों और जन प्रतिनिधियों द्वारा किये गए निरीक्षणों की बात हो , तकरीबन हमेंशा ही जिला अस्पताल में हर स्तर पर खामियां और व्यवस्थागत ढील – पोल ही सामने आती रही हैं । आये दिन इस बारे में अखबारों की सुर्खियां भी बनती है । नीमच के चिकित्सालय को जिला अस्पताल का दर्जा मिले तो करीब पच्चीस साल बीत गए हैं लेकिन इसके अनुरूप प्रबंधों को लेकर अपेक्षित ध्यान ही नहीं दिया जा रहा हैं । श्री राठौड़ ने कहा कि , जिला चिकित्सालय को लेकरचिकित्सकों और उपचार प्रबंधों की कमियों से भी ज्यादा ऐसी शिकायतें सामने आती है जिनका संबंध प्रबंध व्यवस्था से जुड़ा हुआ है , मसलन चिकित्सालय भवन कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त है , पानी का रिसाव , बेतरतीब वाहनों की पार्किंग , साफ – सफाई की अनियमितता , जल व्यवस्था में अवरोध , परिसर में मवेशी घूमना , वार्डों का अस्त – व्यस्त रखरखाव , वेस्ट सामग्री निस्तारण के समुचित प्रबंध नहीं है , कबाड़ की तरह बिखरा पड़ा सामान , अग्निशमन यंत्र के अपर्याप्त प्रबंधक , विद्युत एवं जल सप्लाई में गड़बड़ , इत्यादि । ऐसी तमाम समस्याओं.. खामियों पर गौर करें तो इनके समाधान की जिम्मेदारी क्या मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर होना चाहिए यह बड़ा सवाल है ..? एक ऐसे व्यक्ति को , जिन्होंने एमबीबीएस , इंटर्नशिप , पीजी और आगे तक की कोई नौ – दस साल मरीज के रोग की जांच एवं निदान की पढ़ाई की है और बाद में इन्हीं कामों को करते रहे हैं , उनको प्रबंधन का काम देखने की भी जिम्मेदारी ढोनी पड़े तो क्या यह उचित है ..? क्या इलाज की मुख्य जिम्मेदारी के साथ वरिष्ठ चिकित्सक ठीक से प्रबंध देख सकते हैं..? क्या उन्हें प्रबंध क्षमता होती है..? श्री राठौड़ ने कहा कि दरअसल जिला चिकित्सालय में लगातार यही हो रहा है । अमूमन जिला चिकित्सालय में प्रबंधकीय कार्यों की जिम्मेदारी भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी को ही देखनी पड़ रही है । जब जब भी निरीक्षण किया जाता है तब खामियों को लेकर उच्च प्रशासनिक अधिकारी उनको ही भला बुरा सुनाते हैं । लिखा भी उनके खिलाफ जाता है । जनता के रोष का शिकार भी वह होते हैं । जबकि प्रबंध व्यवस्था मूलतः ना तो उनका काम है और न ही उनकी जिम्मेदारी होती । यह भी ध्यान दें कि प्रबंध की जिम्मेदारी भी कोई चिकित्सक जैसे-तैसे तब ठीक से संभाल सकता है जब उनके पास मूल काम का अतिरिक्त बोझ ना हो। लेकिन जिला चिकित्सालय की स्थिति यह है कि यहां चिकित्सकों के स्वीकृत पदों में से भी आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं । विशेषज्ञों के पद रिक्ततता का प्रतिशत और भी ज्यादा है । मतलब उन पर पहले से ही चिकित्सा के कार्यों का ही दोहरा बोझ है । ऊपर से उनको अगर प्रबंध के काम भी देखना पड़े तो समझा जा सकता है कि कैसे यह इसका संपूर्णता से निर्वाह कर पाएंगे । श्री राठौड़ ने कहा कि सही विश्लेषण करें तो जिला चिकित्सालय में व्यवस्था बहाल करने का उद्देश्य पूरा करना है तो मजबूत सपोर्ट सिस्टम तैयार करना बेहद जरूरी है । श्री राठौड़ ने कहा कि जब अस्पताल को जिला चिकित्सालय का दर्जा मिला था तब यह उम्मीद बंधी थी कि यहां व्यवस्था कायम करने के लिए सरकार समुचित कदम उठाएगी और जिला चिकित्सालय में हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन देखने के लिए अनिवार्य नियुक्तियां होगी । हॉस्पिटल मैनेजमेंट में एमबीए होता है जिसमें सारा प्रबंध करना सिखाया जाता है । ऐसे शक्षित एडमिनिस्ट्रेशन नियुक्त कर विभाग पृथक रूप से संचालित करने पर जिला अस्पताल की समुचित व्यवस्था में सुधार सम्भावित है और अतिरिक्त दायित्व से मुक्त होकर वरिष्ठ चिकित्सक भी उपचार व्यवस्थाओं को प्रभावी बनाने में योगदान दे पाने में सक्षम भूमिका निभा सकते हैं ।

स्वीकृत सहायक प्रबंधक का पद रिक्त ; 48 जिलों में प्रबंधक नियुक्त , नीमच की अनदेखी -श्री राठौड़ ने कहा कि , जिला अस्पताल की सुव्यवस्था के लिए सपोर्टिंग सिस्टम के रूप में पृथक रूप से प्रबन्धकीय स्टॉफ की अनिवार्यता स्पष्ट होने के बावजूद प्रदेश की भाजपा सरकार ने अस्पताल प्रबंधन विभाग की हमेंशा अवहेलना की हैं । वर्ष 2014 में जिला चिकित्सालय नीमच में प्रबंधन की महत्ता समझते हूए अंततः सहायक प्रबंधक द्वितीय श्रेणी अधिकारी का पद स्वीकृत किया गया था लेकिन कोई 6 साल बीत जाने के बाद आज तक भी इस पद पर कोई नियुक्ति नहीं कि गई हैं ।
नीमच जिला चिकित्सालय की भाजपा सरकार द्वारा की जा रही लगातार उपेक्षा का आरोप लगाते हुए श्री राठौड़ ने कहा कि , सरकार ने मध्यप्रदेश के 48 जिला चिकित्सालयों में अभी तक प्रबंधक पद पर नियुक्ति कर दी हैं लेकिन नीमच को लगातार अनदेखा किया जा रहा हैं । अफसोस यह हैं कि क्षेत्र के निर्वाचित जन – प्रतिनिधि जिला चिकित्सालय में प्रबंधन की कमी के कारण लगातार हो रही दुर्दशा और जनता को होने वाली परेशानियों की ओर से आँखें बंद किये बैठे हैं ।
श्री राठौड़ ने कहा कि , जिला चिकित्सालय की दुर्दशा के कारण स्पष्ट होने के बावजूद समाधान के लिए प्रयास नहीं करना और लगातार उपेक्षा बरतना जनता के प्रति गैर जिम्मेदारी हैं । जन प्रतिनिधियों को यह समझना होगा कि महज निरीक्षण – निरीक्षण का नाटक करते रहने भर से समस्या का हल सम्भव नहीं हैं । जिला अस्पताल की लचर व्यवस्था सुधारने के लिए सपोर्ट सिस्टम को प्रभावी बनाना जरूरी हैं ।