निर्मल मूंदड़ा रतनगढ़
नीमच। पूरे मध्यप्रदेश के साथ ही नीमच जिले में भी 17 नवंबर को शांति पूर्ण ढंग से मतदान संपन्न होकर सभी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम पेटियों में पूर्णतया सुरक्षित रूप से बंद हो गया है। एवं पन्द्रह दिनो के लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार वह घड़ी भी अब एकदम नजदीक आ ही गई है।जिसका सबको बडी बैसब्री से इंतजार था। 30 नवंबर को विभिन्न न्यूज़ चैनलों पर एग्जैक्ट पोल का आकलन आने के बाद भी आगामी 3 तारीख को ईवीएम पेटियों के खुलने के पश्चात ही सभी उम्मीदवारों के भाग्य का असली फैसला होगा। कि कौन 5 वर्षों तक जनता के दिलों में राज करेगा एवं किसे हार का सामना करना पड़ेगा। इस बार के चुनावो में एक बात विशेष रूप से देखने को आई है। कि इस बार चुनाव में किसी भी प्रकार की कोई लहर (मोदी, शिवराज, कमलनाथ, सिंधिया) का कोई असर नहीं दिखाई दिया। और ना ही केंद्र एवं राज्य के द्वारा कराए गए अनगिनत विकास कार्यों का असर इन चुनावों में दिखाई दिया। जहां भाजपा केवल लाडली बहन के सहारे तो कांग्रेस पिछले 20 वर्षों की एंटी इनकंबेंसी के सहारे ही अपनी चुनावी वैतरणी पार करने का मधुर स्वप्न देख रहे हैं।सभी ‘मतदाता पूरी तरह से मौन है, इसलिए बड़े-बड़े राजनीतिक विशेषज्ञ भी नहीं बता पा रहे हैं। कि इस बार के चुनावो में जीत रहा कौन है’। नीमच जिले मे भी यही हालात दिखाई दे रहे हैं। कोई भी प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है। समर्थक जरूर अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत का केवल कयास ही लगा रहे हैं। एवं दावे कर रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच में मतदाताओं की खामोशी व पूर्ण रूपेण मौन धारण करने से वास्तविक स्थिति का सही आकलन लगाना पूर्णतया असंभव हो रहा है। चुनाव के पूर्व जिले मे कुछ बाहुबली प्रत्याशियों द्वारा धनबल के जरिये मतदाताओं को लुभाने के लिये अपने पक्ष में प्रचार प्रसार करने के लिए मीडिया मैनेजमेंट को भरपूर रकम देकर सेट कर लिया गया था। और मीडिया के द्वारा एक निश्चित सेटलमेंट के बाद जिले के केवल चुनिंदा प्रत्याशियों का ही भरपूर प्रचार -प्रसार जनता के बीच किया गया। एवं उन्हें एक तरफा जीत का सेहरा बंधाते हुए भी दिखाया गया था। जिससे आम जनता एवं लोगों में भ्रम की स्थितिया निर्मित हो गई थी। लेकिन 17 नवंबर को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए चुनावों के पश्चात मीडिया मैनेजमेंट के इन सभी महारथीयों की भी बोलती पूरी तरह से बंद है। वह भी अब उन प्रत्याशियों की जीत का दावा खुलकर नहीं कर पा रहे हैं। जिनके लिए उन्होंने दिन रात इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया एवं सोशल मीडिया के माध्यम से एक तरफा प्रचार -प्रसार करने में अपनी तरफ से कोई कौर कसर बाकी नहीं रखी थी। निर्वाचन आयोग के दबाव के चलते जहां इस बार चुनाव पूर्णतया शांतिपूर्ण ढंग से निर्विघ्न संपन्न हुए एवं प्रारंभिक दौर में धन बल एवं बाहुबल का प्रयोग करने में प्रत्याशियों ने पूरी तरह से सतर्कता दिखाई लेकिन चुनावों के अंतिम 2 दिनों में निर्वाचन आयोग एवं पुलिस प्रशासन को भी ठैंगा दिखाते हुए खुलकर धन बल एवं बाहुबल का प्रयोग कर विभिन्न प्रकार के आर्थिक प्रलोभन देकर मतदाताओं को अपनी तरफ रिझाने के लिए कोई कौर कसर किसी भी दल के प्रत्याशी ने बाकी नहीं रखी। इस बार के चुनाव में जहां नीमच मे भाजपा से दिलीप सिंह परिहार एवं कांग्रेस से उमराव सिंह गुर्जर एवं मनासा में भाजपा से माधव मारू एवं कांग्रेस से नरेंद्र नाहटा मे सीधा मुकाबला है। वही जावद में इस बार मुकाबला काफी रोमांचक एवं कशमकश वाला है। जहां भाजपा से कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा एवं कांग्रेस से समंदर पटेल की उम्मीदवारी के बीच भाजपा के बागी उम्मीदवार पूरणमल अहीर ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाते हुए काफी रोमांचक बना दिया है।यहां तीनों उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। इस बार के चुनावो में यह भी विशेष बात रही कि मतदाताओं ने भी इस बार अपने पास आने वाले किसी भी दल के प्रत्याशी को निराश नहीं किया। एवं उसे इस प्रकार से आश्वस्त किया कि मे सिर्फ और सिर्फ आपके अलावा किसी और को वोट नहीं दूंगा। लेकिन उसने ऐसा वादा उसके पास आने वाले हर प्रत्याशी से किया एवं किसी को भी निराश नहीं किया। जिससे सभी प्रत्याशी उन मतदाताओं को अपने पक्ष में मान कर अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन अंतिम समय में अब उसने वोट किसे दिया यह कोई भी नहीं बता सकता। कुछ मतदाता तो ऐसे भी थे। जो हर प्रत्याशी की रैली एवं चुनावी सभा में बराबर दिखाई दिए कई प्रत्याशियों की सभाएं तो ऐसी भी थी। की भीड़ में शामिल कार्यकर्ता तो वही थे। केवल उनके झंडे एवं बैनर जरूर बदल गए थे जो भी हो आगामी 3 तारीख को सबके सामने आ जाएगा। कि ऊंट किस करवट बैठता है। मतदाताओ ने किसके सर पर ताज रखा एवं किसे 5 साल का वनवास दिया। लेकिन इन सबके बीच में मतदाताओं की खामोशी के चलते सटोरियों की जरूर चांदी हो रही है। एवं वह अपने अपने हिसाब से हार जीत का गणित बता रहे हैं। लेकिन यह भी तय है की 30 तारीख को तेलगांना के संपन्न चुनावो के पश्चात शाम को आने वाले एग्जिट पोल के आकलन के बाद भी सरकारों मे उलटफेर व सटोरियों के भावों में भी भयंकर उलटफेर की संभावना है।
सभी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम मे बंद,एक्जेक्ट पोल के आकलन के बाद सबको 3 तारिख का बैसब्री से इंतजार,सभी प्रत्याशियों की रातों की नींद और दिन का सुकून हुआ गायब,आखिर क्यो कोई भी अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से नही है।आश्वस्त,मतदाता के पूरी तरह से मौन (साइलेंट वोटिंग) से सटोरियो की हो रही है।चांदी
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