
नीमच। जावद विधानसभा मे इस बार भाजपा की मुश्किलों मे इजाफा होते दिख रहा है भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश सकलेचा के साथ अंदरूनी तौर पर भीतरघात हो रहा है.विश्वसनीय सूत्रों की माने तो हर बार के चुनावों में पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनावी मैदान में अपनी जीत का पूर्वानुमान लगाने वाले ओमप्रकाश सकलेचा के लिए इस बार अपनी ही लंका में बैठे विभीषणों से घिर चुके है,जो सकलेचा से कंधा मिलाकर उन्हें पटखनी देने में कोई कसर नही छोड़ रहे है,चुनावी प्रबंधन सकलेचा का पूरी तरह से फैल सा हो गया है,और अपने ही लोग उन्हें अँधेरे मे रख कर निपटा रहे है…सकलेचा खेमे में ऐसे कई लोग है,जो कहने को सकलेचा के साथ जरूर है,लेकिन पीछे से निपटाने में भी पीछे नही है…अंदर की बात निकल कर आ रही है की ये वो लोग है,जो पूरी जावद विधानसभा मे अपनी पेठ रखते है और इस बार सकलेचा की हठधर्मीता से नाराज़ है और इस नाराज़गी को जग जाहिर नहीं करते हुए उनके साथ रहकर उनको निपटानें पर ज्यादा फोकस दे रहे है,हालाँकि जावद विधानसभा में इस बार भाजपा का परम्परागत वोट बैंक तो निर्दलीय प्रत्याशी के चलते अच्छा खासा खिसक ही रहा है,वहीं दूसरी और समंदर पटेल भी भाजपा के उन वोटो मे तगडी सेंधमारी कर चुके है,जो की समाजिक तौर पर भाजपा को मिलता था,और इस बार समंदर के पक्ष में एक तरफ़ा काँग्रेस के खाते मे जाता हुआ दिख रहा है.हम बात करें तो समंदर पटेल की तो स्थिति उनकी भी ठीक तो बनी हुई है,लेकिन उनकी कमजोरी भी उनके घटिया चुनावी प्रबंधन को लेकर सामने आ रही है,कई गावों से कार्यकर्ताओं की शिकायत निकल कर आ रही है की समंदर की टीम उन लोगो को सही से मेनेज नहीं कर पा रही है जिन लोगो के पास काँग्रेस का बड़ा वोट बैंक है.आदिवासियों मे भी समंदर की टीम सही प्रकार से मेनेज नहीं कर पाई और यहाँ निर्दलीय पूरण अहीर ने सेंध लगा कर काँग्रेस का बड़ा वोट बैंक भी फिलहाल अपने पाले मे कर रखा है, और ऐसे में समय रहते यदि खामियां दूर नहीं हुई तो नुकसान समंदर को भी होना तय है। रतनगढ मे एक काँग्रेस पार्षद इसी कमजोरी के चलते भाजपा के पाले मे चले गए और अपने साथियो के साथ भाजपा की सदस्यता ले ली….बहरहाल जावद विधानसभा का चुनावी समीकरण इस बार भाजपा और कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों से कहीं अधिक निर्दलीय के पक्ष में जाता हुआ नजर आ रहा है…!