नीमच। अनुशासन का पाठ पड़ानें वाली कॉंग्रेस में अब नई परिपाटी शुरू हो गई है गद्दारी करने वालो की ससम्मान कॉंग्रेस में वापसी की जा रही है और इसके गवाह बन रहे है जिलाध्यक्ष जैसे जिम्मेंदार नेता। ऐसे कारणों से कॉंग्रेस का भविष्य गर्त में जाने जैसे हालात बन रहे है। कांग्रेस की नई परिपाटी से कॉंग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी अब लगने लगा है कि जिसको भी कॉंग्रेस से गद्दारी करना है वो जी भर के और खुल कर गद्दारी कर ले, कॉंग्रेस की पीठ में छूुरा घोंप दे और कॉंग्रेस छोड स्वार्थ के उद्देश्य पूर्ति के लिये दूसरी पार्टी ज्वाईन कर ले जब दूसरी पार्टी में स्वार्थ पूर्ति हो जाए, मन भरा जाये और वापिस जब चाहे मुंह उठाए और कॉंग्रेस में आ जाये। कांग्रेस के दरवाजे गद्दारी करने वालो के लिए 24 घंटे खुले है। कांग्रेस के नेता भी सम्मान के साथ गद्दारी करने वाले को पार्टी में लेकर ऐसा उदाहरण पेश करेंगे की जैसे मानो उन्होंने इतिहास रचा हो। कॉंग्रेस में अनुशासन का डंडा दिखावे के रूप में चलता है यहां गद्दारी करने वाले को 6 साल तक के लिए नियम अनुसार निस्कासित तो किया जाता है लेकिन मौखिक रूप से बनाए बेतुके नियमो के कारण कांग्रेस का आलाकमान उन्हे निलंबित रख ही नहीं सकता है। ऐसे हालातो से कॉंग्रेस से दगा करने वालो की फौज खड़ी हो सकती है, जो कांग्रेस को सबसे कमजोर स्थिति पर ले जाकर छोड़ेगी। समंदर पटेल द्वारा भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा बीते कुछ दिनों से प्री प्लानिंग के तहत चलाई जा रही थी, जिसका परिणाम शुक्रवार को देखने को मिला। ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाव में सवार होकर समंदर भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन अचानक से विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में उनकी दाल गलना बंद हो गई। उन्हे लगा कि जावद में विधायक चुनाव में भाजपा से उम्मीदवारी मिलना टेडी खीर के समान है तो उन्होंने आनन फानन में निर्णय लेते हुए बीते कुछ दिनों से मीडिया साथियों के सहयोग से पूरा गेम प्लान किया और इस प्रकार की खबरे चलाकर आमजन में यह मानस बना दिया कि समंदर पटेल जैसे महान नेता बड़ा काम करने के बाद कॉंग्रेस में शामिल होने वाले है। जिससे कांग्रेस में मजबूती आएगी। माहौल बनने के बाद प्लानिंग के तहत ही शुक्रवार को समंदर पटेल मित्र मण्डल द्वारा एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें बताया जा रहा है की उन्होंने जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया की प्रमुख उपस्थिति में कांग्रेस की सदस्या ले ली है। यहां विचारणीय है की जिस समंदर ने कांग्रेस से बीते विधानसभा चुनाव में बागी के रूप में दगा कर निर्दलीय चुनाव लडा जिससे कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था। तीन वर्ष पूर्व सिंधिया जी के साथ कांग्रेस के बागी समंदर भाजपा में सम्मिलित हो गए ऐसे नेता को जिला नीमच के सर्वे सर्वा बने चौरसिया जी को कम से कम एक प्रेस वार्ता तो अकेले करने देते लेकिन उनकी प्रेस वार्ता में उनका समंदर के प्रति स्नेह वाला उतावलापन नजर आया। जिलाध्यक्ष का समंदर के साथ उपस्थित रहना कुछ संकेत कर रहा है शायद हो सकता हो इसमें समंदर से बड़ी डील हुई हो, क्योंकि अनुशासन की बड़ी डींगे हांकने वाले अचानक से दगा करने वाले से इस प्रकार मिल जाए कुछ तो गड़बड़ होगा ही। विधानसभा चुनाव नजदीक आ गए तो समंदर को भाजपा में व मंत्री सकलेचाजी में कई कमियां अचानक से नजर आने लगी। सभी जान रहे है की चुनाव पूर्व ही अचानक से कमियां नजर क्यों आने लगी है।जबकि विचारणीय बात है कि बीते विधानसभा चुनाव में जिस समंदर पटेल ने जावद से बागी चुनाव लड़कर कॉंग्रेस को हराने में अहम भूमिका निभाई जो कॉंग्रेस के साथ दगा करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गये और बीते तीन वर्षो में कॉंग्रेस के विरूद्ध जमकर हमला बोला, कांग्रेस के विरूद्ध आयोजित गतिविधियों में भाग लिया, निरंतर कॉंग्रेस को कमजोर करने का काम किया अब जब देखा कि भाजपा में उनकी दाल नहीं गलने वाली, कोई पूछ परख नहीं हो रही तो ऐसे में खुद के स्वार्थ की पूर्ति के लिये अपने धनबल के सहारे आने वाले विधानसभा चुनाव में कॉंग्रेस से चुनाव लड़ने का ख्वाब देखते हुए कांग्रेस की सदस्यता ली है । अभी ये भी पुख्ता नहीं है कि वो कॉंग्रेस के सक्रिय सदस्य बने भी है या नहीं। जबकि जिस प्रकार से कॉंग्रेस में हालात बन रहे है उससे ऐसे दगा करने वाले नेताओं से दूरी बनाना चाहिये थी लेकिन जिस प्रकार से कॉंग्रेस जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया ने प्रेस वार्ता में अपनी उपस्थित दर्ज करवाई उससे ऐसा लग रहा है की शायद समंदर से जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया ने बड़ी राजनीतिक सांठगांठ की हो। क्यों कि जो व्यक्ति कॉंग्रेस का सक्रिय सदस्य भी नहीं बना उसके बाद भी उसके साथ उपस्थित रहना कहीं ना कही बड़ी मिली भगत को ईशारा कर रहा है।
जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया की भूमिका-बात करे कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया की तो उनकी भूमिका कई प्रश्नों को जन्म दे रही है और साथ में जाने वाले कॉंग्रेस के अन्य नेताओं की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे है। समंदर पटेल ने शुक्रवार को जावद में प्रेस वार्ता आयोजित की। वहां अत्यंत चौकाने वाला नजारा जो देखने को मिला वह यह कि समंदर पटेल जिसने कांग्रेस की सदस्यता भी पूरी तरह से नहीं ली उनके साथ प्रेस वार्ता में कॉंग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया, सहित अन्य नेता समंदर पटेल के साथ बैठे नजर आये और तो और आश्चर्यचकित तो यह भी रहा कि प्रेसवार्ता मानो समंदर पटेल के साथ मिलकर जिलाध्यक्ष अनिल चौरसिया ने रखी हो। इस प्रकार का नजारा प्रेस वार्ता में पीछे लगा बैनर दर्शा रहा था जिस पर लिखा था प्रेस वार्ता जिला कॉंग्रेस कमेटी, नीमच जिससे ऐसा लग रहा था कि यह समंदर पटेल की प्रेस वार्ता ना होकर जिला कॉंग्रेस की प्रेस वार्ता हो। अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले जिलाध्यक्ष ऐसे व्यक्ति के लिये प्रेस वार्ता में उपस्थित थे जिसने कॉंग्रेस के साथ दगाबाजी की, लगातार कांग्रेस विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे। जबकि वो व्यक्ति पूरी तरह से कॉंग्रेस का सक्रिय सदस्य भी नहीं बन पाए उसके बाद भी ऐसे व्यक्ति के साथ जिला कॉंग्रेस अध्यक्ष को खडे रहना कई प्रश्नों को जन्म दे रहा है। इससे कॉंग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर बुरा असर पडेगा।
समंदर पटेल पर जिला कॉंग्रेस का स्नेह- चुनाव में उठाना पड सकता नुकसान-समंदर पटेल जिसने बीते चुनाव में कॉंग्रेस को हरवाने में अहम भूमिका निभाई थी। कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लडकर कॉंगेेस को हराया था बीते तीन वर्षो से जावद में कॉंग्रेस की छाती पर मूंग दलने का काम कर रहे थे ऐसे नेता जिसे 6 साल के लिये पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था और बीते तीन वर्षो से कांग्रेस विरूद्ध गतिवधियों में सम्मिलित रहे ऐसे नेता समंदर के लिए मध्यप्रदेश का आलाकमान ऐसी प्रथा को जन्म दे रहा है जिससे आने वाले चुनावों में कॉंग्रेस में नई परिपाटी शुरू हो सकती है। जब नेता अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये कॉंग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है तो एक छोटा सा कार्यकर्ता अपनी जरूरत के लिये समझौता कर ले तो काई बडी बात नही होगी। यदि कॉंग्रेस का पोलिंग पर लड़ने वाला कार्यकर्ता समंदर पटेल जैसे स्वार्थी होकर चुनाव के समय विपक्षी पार्टी से सांठगांठ कर सामने वाले से मिल सकता है। क्योंकि अब तो कांग्रेस के हर कार्यकर्ता को पता चल चुका है कि कॉंग्रेस से कितनी भी गद्दारी कर लो गद्दारी करने वाले को 6 साल तक तो कोई भी निष्कासित नहीं कर सकता है। कॉंग्रेेस की मजबूरी बन जाती है कॉंग्रेस से गद्दारी करने वाले लोगो को कॉंग्रेस में लेने की । ऐसे हालातो सें आने वाले में चुनाव में कॉंग्रेस में नेता स्वार्थी बन कॉंग्रेस से गद्दारी करने से नहीं चुकेंगे। क्योंकि उन्हें पता चल चुका है कि कॉंग्रेस से गददारी करने से तरक्की मिलती है। कुछ भी हों पर समंदर पटेल के धन बल के आगे कांग्रेस ने घुटने टेक दिए।