साढ़े 4 साल प्रदर्शन, धरना व रैलियों से रहे नदारद, अब दौरे पर दौरे कर रहे है, क्या इसे ही कहते है अवसरवादी ??

नीमच। ”जनता को आप मूर्ख समझना बंद कर दीजिए…!” वर्तमान परिदृश्‍य से लगता है मोदीजी का यह मीम नंदू भैया पर सटीक बैठता है। क्योंकि कांग्रेस की बैठकों, धरनों, रैलियों तथा प्रदर्शन से नदारद रहने वाले नंदू भैया अचानक सक्रिय हो गए हैं। दौरे पर दौरे कर रहे है! लेकिन जहां-जहां नंदू भैया के कदम पड़ रहे, वहां जनता पूछ रही कि पिछले सालों में हमारे दु:ख-सुख में कहां गए थे? जब विपक्ष को एक मजबूत चेहरे की जरूरत थी, तब तो कहीं भी धरना, प्रदर्शन, रैलियों में नजर नहीं आए! अब अचानक ऐसा क्या हो गया? जो दौरें पर दौर करने की जरुरत पड़ रही। नंदू भैया से जनता के सवालों के जवाब देते नहीं बन रहा। इसलिए दबे पांव वहां से निकलना पड़ रहा। एक ओर तो अपने नंदू भैया संगठन को ताक में रख कर अकेले दौरे करने में लगे है, दूसरी ओर कांग्रेस संगठन नारी सम्मान के फार्म भरवा रहा है। ऐसे में संगठन व एकजुटता की दुहाई देने वाले अपने नंदू भैया पार्टी से अलग-थलग अपनी ही लकीर खींचने में लगे है। जिससे क्षेत्र में विरोधाभास की स्थिति पैदा हो रही है, क्योंकि जो कार्यकर्ता दौरे के वक्त नंदू भैया के साथ-साथ चल रहा है। उसे फिर से नारी सम्मान योजना तहत फार्म भरने जाना पड़ रहा है। ऐसे में कार्यकर्ता ही कह रहे है, ये एकजुटता है या गुटबाजी, अगर एकजुटता है तो बाकी नेता साथ क्यों नही आ रहे,ये सब क्या हो रहा है? पिछले लंबे समय से कोई भी चुनाव नही लड़ने की घोषणा करने वाले नंदू भैया अब अचानक कर्नाटक चुनावों के परिणामों के बाद देश में समीकरण बदलने पर सक्रिय क्‍यों हो गए? कांग्रेस का पलड़ा भारी होता दिख रहा है, आसार बदलते देख नंदू भैया ने भी पलटी मार दी। क्षेत्र में अचानक सक्रियता हो गए। अब न तो जनता के और न ही कार्यकर्ताओं के नंदू भैया की सक्रियता हजम हो रही।,,पहले पत्रकारों से दूरी बनाने वाले नेता अब खुद अखबार नवीसों को बुला रहे है और उनके आफिस में हाजिरी लगा कर सहयोग की मांग कर रहे है। सही है कि राजनीति कुछ भी करवा देती है।