सिंगोली।  ग्रीष्म ऋतु के आते ही प्रतिवर्ष क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मिट्टी माफिया सक्रिय होकर राजस्व की खाली पड़ी शासकीय जमीनों और गरीब किसानों से कम रुपयों में जमीन का विक्रय कर उन जमीनों से मिट्टी निकालने का अवैध कारोबार तहसील क्षेत्र में बड़े पैमाने पर फलता फूलता रहा है और वर्तमान में भी बेरोकटोक जारी है ऐसा नहीं है कि क्षेत्र में तैनात और जिले के आला अधिकारियों तक प्रतिवर्ष होने वाले मिट्टी कारोबार की शिकायतें और जानकारियां नहीं पहुंची हो बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों की अब तक क्षेत्र में कोई बड़ी कार्रवाई देखने को नहीं मिली जिससे क्षेत्र में मिट्टी माफियाओं और जेसीबी संचालकों के हौसले प्रतिदिन बुलंद होते जा रहे हैं और आए दिन झगड़ा फसाद के कारण भी बन रहे हैं क्षेत्र में वर्तमान में भी धारडी, फुसरिया, सोडीजर, बड़ी,खवाई, खेड़ा मां का ढोल, महुपुरा, झांतला अंचल सहित क्षेत्र मैं बड़े पैमाने पर मिट्टी उत्खनन का कार्य ग्रामीण अंचलों में निर्बाध रूप से जारी है जिसकी वजह से पर्यावरण को तो नुकसान पहुंच रहा है उसके साथ साथ ग्रामीण अंचलों में सीसी सड़क मार्ग सहित अन्य शासकीय संपत्तियों को भी नुकसान हो रहा है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी संसाधनों के अभाव का हवाला देकर कार्यवाहीयो से बच रहे है जो कई शंकाओं को भी जन्म देता है। ऐसा नहीं है कि दिन के उजाले में कम और रात को बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध मिट्टी खनन की शिकायतें प्रशासनिक अमले तक ना पहुंची हो लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ अब तक मिट्टी माफियाओं की गिरेबान से कोसो दूर है यही नहीं क्षेत्र में नो टन वजन की क्षमता के कई ऐसे सड़क मार्ग हैं जो मिट्टी खनन में लगाए गए डंपरो और गैर व्यवसायिक ट्रैक्टरों के आवागमन की वजह से जर्जर हो चुके हैं। क्षेत्र के जागरूक ग्रामीणों ने बताया कि हर बार मिट्टी खनन को लेकर अधिकारियों तक शिकायतें करते हैं लेकिन उन शिकायतों पर कोई भी कार्यवाही नहीं होती क्षेत्र में अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर कार्य चल रहे हैं जनता की परेशानियों को सुनने वाला कोई नहीं है और ना ही पीड़ा को समझने वाला मिट्टी खनन में लगे लोगों को कुछ भी कहो तो वे झगड़ा करने पर आमादा हो जाते हैं और कई बार क्षेत्र में जानलेवा झगड़े की घटनाएं भी घटित हो चुकी है। लेकिन किसी के ऊपर कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई

जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहीं ना कहीं तो इन्हें किसी ने किसी का तो संरक्षण मिला हुआ है। यही नहीं राजस्थान और क्षेत्र के लोग जो मिट्टी खनन के कार्य में लगे हैं वे लोग गर्मी के शुरू होने से पहले ही आदिवासियों और गरीब लोगों से मिट्टी वाली जमीन कम कीमतों में खरीद कर गर्मी के शुरू होने के साथ ही अपना कारोबार शुरू कर देते हैं और जिस किसान को अपनी जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है यह लोग उसे मनमाने दामों जिसकी कोई भी फिक्स कीमत नहीं होती उस कीमत पर मिट्टी के डंपर और ट्रैक्टर मिट्टी विक्रय करते हैं जिसकी वजह से किसानों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है और यह लोग भी मालामाल हो जाते हैं।

जिला कलेक्टर तक भी पहुंचा मामला*

जिला कलेक्टर दिनेश जैन के सिंगोली प्रवास के दौरान क्षेत्र के जागरूक नागरिकों ने भी प्रतिवर्ष होने वाले और शासन को हो रहे लाखों रुपए राजस्व की हानि से अवगत कराकर और वर्तमान में नियम कायदों को ताक में रखकर किए जा रहे मिट्टी खनन को रुकवा कर मिट्टी माफियाओं पर बड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया था जिस पर जिला कलेक्टर ने नागरिकों को आश्वस्त करते हुए कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया था।

*क्या हैं मिट्टी खनन और परिवहन कर रहे वाहनों के नियम*

मिट्टी खनन के लिए विभागीय पोर्टल पर अधिकतम सो घन मीटर साधारण मिट्टी खनन व परिवहन के लिए विभागीय अनुमति लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाना अनिवार्य है बिना अनुमति के मिट्टी खनन पूरी तरीके से अवैध माना जाता है मिट्टी खनन के बाद उसके व्यवसायिक उपयोग मैं व्यवसायिक वाहनों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए जबकि क्षेत्र में होने वाले मिट्टी खनन में किसी भी नियम का पालन मिट्टी खनन माफियाओं द्वारा नहीं किया जाता है

*अवैध मिट्टी खनन को लेकर राजस्व विभाग सजग होकर बराबर क्षेत्र में निगरानी रख रहा है अवैध खनन जैसा कोई मामला सामने नहीं आया है हमने खनिज विभाग को भी इस संदर्भ में सूचित कर दिया है ऐसा मामला संज्ञान में आने पर कार्रवाई जरूर होगी*
*—-तहसीलदार राजेश सोनी सिंगोली*