
सिंगोली/झांतला:-भारत में बहुरूप धारण करने की कला बहुत पुरानी है। राजाओं-महराजाओं के समय बहुरूपिया कलाकारों को हुकूमतों का सहारा मिलता था लेकिन अब ये कलाकार और कला दोनों मुश्किल में है। इन कलाकारों का कहना है कि समाज में रूप बदल कर जीने वालों की तादाद बढ़ गई है। लिहाजा बहरूपियों की कद्र कम हो गई है। सिंगोली झांतला में बहुरूपिया आकाश राज पिता जितेंद्र सिंह खाटू श्याम राजस्थान निवासी ने बताया कि मैंने यह कला अपने पिता जितेंद्र सिंह से सीखी है। पिता के बाद विक्की भी इस पारिवारिक पेशे से जुड़ा हुआ है। विक्की इस बहरूपिये के अपने खानदानी पेशे को खोना नहीं चाहता। कला के लिए हमें गांव-गांव जाना पड़ता है। आज भी समाज में कला के पारखी हमारी कला की कदर कर हमें पारितोषिक व सम्मानित करते हैं। लेकिन आधुनिकता के इस युग में कला के कदर दान कम रह गए हैं। सांस्कृतिक विभाग व सरकार का विशेष प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है । जिससे धीरे-धीरे यह कला हासीए पर जा रही है। शासन प्रशासन को चाहिए कि इस समाज के उद्धार के साथ इस सांस्कृतिक विरासत को एक प्लेटफार्म मुहैया करवाया जाए ताकि भविष्य में यह कला वह कलाकार विलुप्त ना हो और यह अपनी कला को भारत ही नहीं समूचे विश्व में इस कला का लोहा मनवा सके यह समाज अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छी तालीम व शिक्षा से जोड़कर इस कला में और आधुनिकता के रंग भर सके छुटाला में बहुरूपिया आकाश राज द्वारा जो सॉन्ग कर जो मनोरंजन लोगों का कर रहा है वह वास्तव में काबिले तारीफ है वर्तमान में अश्लीलता वह पूर्णता से दूर यह शुद्ध मनोरंजन का अद्भुत व नायब कला का प्रदर्शन कहा जा सक । बताया कि उसका मुख्य लक्ष्य लोगों का मनोरंजन करना है। पुराने वक्त में जिस तरह राजा महाराजा अपने महलों में अपने मनोरंजन के लिए बड़े बड़े बहरूपिये को बुलाकर उनसे मनोरंजन करावाते थे और बदले में उन्हें सोने और चांदी के सिक्के देते थे मगर अब बहरूपिये गावों व शहरों में घूम कर लोगों का मनोरंजन करते हैं आकाश हर रोज,राम, हनुमान,शिवजी, रावण श्याम व देवी रूप व देवताओं के रोल करता है और गावों में घूम कर लोगों का मनोरंजन करता है। बच्चे आजकल उनके आने का इंतजार करते रहते हैं। आकाश का कहना है की यह कला बहुत बुरे दौर से गुज़र रही है। सबसे ज़्यादा बहरूपिया कलाकार राजस्थान में ही हैं। पहले इस काम अच्छी कमाई हो जाती थी। लेकिन आजकल मनोरंजन के साधन अधिक होने के चलते पहले जैसी कमाई नहीं हो पाती।